बेरोजगारी की समस्या पर निबंध लिखें | berojgari ki samasya par nibandh bataye
(ख) बेरोजगारी की समस्या/बेकारी की समस्या
भारत बेरोजगारी की विकट समस्या से जूझ रहा है। बेरोजगारी की समस्या कितनी विकराल होती जा रही है, इसका कुछ-कुछ अंदाजा देश के विभिन्न वि नियोजनालयों में निबंधित बेरोजगारों की संख्या से लगाया जा सकता है। यदि किसी कार्यालय में पाँच-दस पद रिक्त होते हैं तो उनके लिए हजारों-हजार उम्मीदवार अपने-अपने भाग्य की आजमाइश करते हैं।
दस पंचवर्षीय योजनाओं के पूरा हो जाने पर भी शत-प्रतिशत रोजगार की प्राप्ति संभव नहीं हो सकी है। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा किए गए, पर प्रतिवर्ष काम की तलाश करनेवाले लोगों की संख्या में वृद्धि होने के कारण रोजगार के ये अवसर कम पड़ते गए। यही कारण है कि भारत में आज बेकारी की समस्या सबसे दुस्तर समस्या बन गई है। बेकारी की समस्या ने पढ़े-लिखे युवकों को गलत रास्ते पर धकेला है।
बेरोजगारी मुख्यतः दो प्रकार की होती है- पूर्ण बेरोजगारी तथा अर्द्ध बेरोजगारी। किसान और गाँव के मजदूर अर्द्धबेरोजगार होते हैं। बेरोजगारी के मुख्य कारण हैं- औद्योगिकीकरण (उद्योगीकरण) की धीमी गति, देहातों में घटते रोजगार, गैरकृषि-क्षेत्र में कम रोजगार, उत्पादन में पुराने तरीकों के स्थान पर नई तकनीकों का अपनाया जाना, जनसंख्या में लगातार वृद्धि एवं प्राकृतिक प्रकोप। भारत जैसे विशाल जनसंख्यावाले देश में बेरोजगारी दूर करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योग-धंधों के विकास की ही आवश्यकता है।
गाँधीजी ने कहा है- बेरोजगारी की समस्या ‘समस्याओं की समस्या’ है। इससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण शिक्षित युवावर्ग हताशा और निराशा के दौर से गुजर रहा है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। रोजगार नहीं मिलने के कारण युवावर्ग पथभ्रष्ट हो गया है। उसके लिए अब पारंपारिक नैतिक मूल्यों का कोई अर्थ नहीं रह गया है। वह कुछ भी गलत-सलत करने को बाध्य हो गया है। युवावर्ग ही किसी भी राष्ट्र का ऊर्जा स्रोत होता है। यदि यही वर्ग निराश और कुंठाग्रस्त होगा, तो राष्ट्र के समुचित विकास का स्वप्न अधूरा ही रह जाएगा।
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